Popular Posts

18 August 2018(Saturday) Current Affair

18 August 2018(Saturday) 

Current Affair



1.उदारीकरण के बाद आर्थिक वृद्धिदर मनमोहन के कार्यकाल में सबसे ज्यादा रही

• देश की आर्थिक वृद्धि दर का आंकड़ा 2006-07 में 10.08 प्रतिशत रहा जो कि उदारीकरण शुरू होने के बाद का सर्वाधिक वृद्धि आंकड़ा है। यह आंकड़ा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल का है। आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। आजादी के बाद देखा जाए तो सर्वाधिक 10.2 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर 1988-89 में रही। उस समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे।


• राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा गठित ‘‘कमेटी आफ रीयल सेक्टर स्टैटिक्स’ ने पिछली श्रृंखला (2004-05) के आधार पर जीडीपी आंकड़ा तैयार किया। यह रिपोर्ट सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी की गई है। रिपोर्ट में पुरानी श्रृंखला (2004-05) और नई श्रंखला 2011-12 की कीमतों पर आधारित वृद्धि दर की तुलना की गयी है।


• पुरानी श्रंखला 2004-05 के तहत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर स्थिर मूल्य पर 2006-07 में 9.57 प्रतिशत रही। उस समय मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। नई श्रृंखला (2011-12) के तहत यह वृद्धि दर संशोधित होकर 10.08 प्रतिशत रहने की बात कही गई है।


• वर्ष 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव की अगुवाई में शुरू आर्थिक उदारीकरण की शुरूआत के बाद यह देश की सर्वाधिक वृद्धि दर है। रिपोर्ट के बाद कांग्रेस पार्टी ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘जीडीपी श्रृंखला पर आधारित आंकड़ा अंतत: आ गया है। यह साबित करता है कि संप्रग शासन के दौरान (औसतन 8.1 प्रतिशत) की वृद्धि दर मोदी सरकार के कार्यकाल की औसत वृद्धि दर (7.3 प्रतिशत) से अधिक रही।’


• पार्टी ने कहा, ‘‘संप्रग सरकार के शासन में ही वृद्धि दर दहाई अंक में रही जो आधुनिक भारत के इतिहास में एकमात्र उदाहरण है।’ रिपोर्ट के अनुसार बाद के वर्षों के लिए भी जीडीपी आंकड़ा संशोधित कर ऊपर गया है।


• राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने इन आंकड़ों के संग्रह, मिलान और प्रसार के लिये पण्राली तथा प्रक्रियाओं को मजबूत करने हेतु उपयुक्त उपायों का सुझाव देने के लिए समिति का गठन किया था।


2. विश्वविद्यालय के आरक्षण रोस्टर पर जल्द विधेयक ला सकती है सरकार

• दलितों और आरक्षण के मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुटे विपक्ष को जल्द ही विश्वविद्यालय के आरक्षण रोस्टर के मुद्दे पर भी निराशा हाथ लग सकती है। सरकार अब इसे लेकर जल्द ही एक विधेयक लाने की तैयारी में है। इसके तहत विश्वविद्यालयों में लागू रोस्टर की पुरानी व्यवस्था फिर से बहाल हो जाएगी।


• पिछले दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद विश्वविद्यालयों के रोस्टर में बदलाव को लेकर यूजीसी को निर्देश जारी करने पड़े थे। इसके तहत विश्वविद्यालयों में होने वाली भर्ती में विवि को यूनिट न मानते हुए विभागों को यूनिट मान लिया गया था। इसके चलते विवि का पूरा आरक्षण रोस्टर ही बिगड़ गया था।


• सरकार ने यह पहल उस समय तेज की है, जब हाल ही में एससी-एसटी एक्ट को लेकर संसद से एक नया बिल पास किया गया। यह बिल भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कमजोर हो चुके एससी-एसटी एक्ट को मजबूती देने के लिए लाया गया था। सरकार का मानना है कि वह विश्वविद्यालय के आरक्षण रोस्टर को लेकर भी आए फैसले को ठीक करेगी।


• इसे लेकर वह एक विधेयक लाएगी। मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय  के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसकी तैयारी शुरू हो गई है। जल्द ही इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सरकार ने यह कदम उस समय उठाया है, जब सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई में समय लग रहा है।


• मंत्रालय के मुताबिक, इसके लेकर समीक्षा याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई है, लेकिन उस पर अभी सुनवाई नहीं हो सकी है। गौरतलब है कि विवि के आरक्षण रोस्टर में बदलाव को लेकर कोर्ट के इस फैसले का राजनीतिक दलों ने विरोध भी किया था। साथ ही केंद्र सरकार से विश्वविद्यालय के आरक्षण रोस्टर को लेकर नया कानून बनाने की मांग भी राजनीतिक दलों ने की थी।

3. फूड लेबलिंग स्टैंडर्ड की समीक्षा के लिए बनेगी समिति

• सरकार ने वसा, शक्कर और नमक की अधिक मात्र वाले पैकेट-बंद खाद्य पदार्थो पर लाल रंग की पट्टी का उपयोग अनिवार्य करने वाले प्रस्ताव का मसौदा फिलहाल ढंडे बस्ते में डाल दिया है।


• फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्डस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पवन कुमार अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा कि प्री-ड्राफ्ट तैयार था और उसे स्वास्थ्य मंत्रलय को भेजा भी गया था। लेकिन कुछ साङोदारों ने उस पर आपत्तियां जताईं। लिहाजा हमने प्रस्ताव को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है और स्वास्थ्य तथा पोषण क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों की एक समिति बनाई है।


• यह समिति लेबलिंग से संबंधित मुद्दों पर पुनर्विचार करेगी।


• उन्होंने कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूटिशन (एनआइएन) के पूर्व निदेशक बी सेसीकेरण की अध्यक्षता वाली समिति में इंस्टीट्यूट की वर्तमान निदेशक हेमलता के अलावा डॉक्टर निखिल टंडन शामिल हैं।


• गौरतलब है कि एफएसएसएआइ ने इस वर्ष अप्रैल में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्डस (लेबलिंग एंड डिसप्ले) रेगुलेशंस, 2018 तैयार किया था। इसके तहत अधिक वसा, नमक और शक्कर वाले पैकेट-बंद उत्पादों पर लाल पट्टी दर्शाना अनिवार्य करने का प्रस्ताव था।


4. रिजर्व बैंक के 'मिंट स्ट्रीट मेमो' स्टडी में खुलासा : नोटबंदी, जीएसटी से छोटे और मझोले उद्योगों को कर्ज मिलना मुश्किल हुआ

• नवंबर 2016 की नोटबंदी से सूक्ष्म, छोटे और मझोले उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए कर्ज मिलना मुश्किल हुआ है। वहीं, जीएसटी लागू होने से सेक्टर का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है।


• रिजर्व बैंक के 'मिंट स्ट्रीट मेमो' नामक एक अध्ययन में यह बात कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएसएमई के लिए कर्ज मिलने में 2017 के निचले स्तर से मामूली सुधार हुआ है और यह 2015 के मध्य के स्तर तक पहुंचा है। हालांकि इस सेक्टर को मिलने वाले छोटी राशि के कर्जों में हाल की तिमाहियों में कुछ बढ़ोतरी देखने को मिली है।


• एमएसएमई सेक्टर के महत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि देश में 6.3 करोड़ से ज्यादा उद्योग इकाइयां कार्यरत हैं। इनमें करीब 11.1 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। यह क्षेत्र देश की जीडीपी में करीब 30% योगदान करता है। मेन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के उत्पादन में इसकी 45% और कुल निर्यात में 40% की हिस्सेदारी है।


• रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी और जीएसटी इस सेक्टर के लिए दो बड़े झटके साबित हुए। उदाहरण के लिए, ठेके पर काम करने वाले मजदूर कपड़े और गहने दोनों पहनते हैं। लेकिन नोटबंदी के दौरान उन्हें कंपनियों से भुगतान नहीं मिला।


• इससे अपैरल के साथ जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर प्रभावित हुए। वहीं, जीएसटी लागू होने से ज्यादातर एमएसएमई इसके दायरे में आ गए। इससे इन उद्योगों की कम्पलायंस कॉस्ट और ऑपरेटिंग काॅस्ट भी बढ़ गई।


• इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईएफसी) ने एमएसएमई सेक्टर में कर्ज की 370 अरब डॉलर (करीब 26 लाख करोड़ रुपए) की संभावित मांग का अनुमान लगाया है। जबकि मौजूदा समय में 139 अरब डॉलर (करीब 9.75 लाख करोड़ रुपए) का ही कर्ज मिल पा रहा है। यानी 231 अरब डॉलर (करीब 16.20 लाख करोड़ रुपए) के कर्ज की मांग की पूर्ति नहीं हो पा रही है।

5. इमरान चुने गए पाक के 22वें पीएम

• पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान शुक्रवार को नेशनल असेंबली का नेता चुना गया। वह शनिवार को पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। खान (65) को मतगणना के बाद संसद के निचले सदन का नेता चुना गया। प्रधानमंत्री के लिए शुक्रवार को हुए चुनाव में खान को 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में 176 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के शाहबाज शरीफ को केवल 96 मत मिले।


• गौरतलब है कि देश में 25 जुलाई को हुए चुनाव में पीटीआई सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी। कुल 270 सीटों पर हुए चुनाव में पीटीआई को 116 सीटें मिली थीं। नेशनल असेंबली की कुल 342 सीटों में 272 पर सीधे चुनाव होते हैं। इसके अलावा 60 सीटें महिलाओं के लिए और 10 अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं।


• बिलावल भुट्टो के नेतृत्ववाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, जो संयुक्त विपक्ष का भी हिस्सा है, ने मतदान में भाग नहीं लिया। पार्टी को शरीफ की उम्मीदवारी को लेकर विरोध था।

• सादगी से होगा शपथ ग्रहण समारोह : पाकिस्तान तहरीक- ए- इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख इमरान खान ने अपने प्रधानमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह को सादगी से आयोजित करने का निर्देश दिया है।इस बीच क्रि केटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए शुक्रवार को पाकिस्तान पहुंच गए।




Related Links







No comments